अनाज मंडी मे लग रही राईस मिल- स्थानीय लोगों ने जताया विरोध- ddnewsportal.com

अनाज मंडी मे लग रही राईस मिल- स्थानीय लोगों ने जताया विरोध- ddnewsportal.com
फाईल फोटो।

अनाज मंडी मे लग रही राईस मिल- स्थानीय लोगों ने जताया विरोध 

मंडी समीति चेयरमैन बोले; प्रदूषण और ध्वनि रहित होगा नई टेक्नोलॉजी का शैलर, किसी को नही होगी हानि, हजारों किसानों को मिलेगा लाभ।

पांवटा साहिब मे तीन वर्ष की मेहनत के बाद आखिरकार राईस मिल लग रही है। मंडी समीति सिरमौर के चेयरमैन रामेश्वर शर्मा के प्रयासों से इस बार धान की खरीद पांवटा साहिब मे होने जा रही है जिसके लिए राईस शैलर की मंडी मे ही स्थापना की जा रही है। लेकिन इस राईस मिल के लगने से पहले ही स्थानीय इलाके मे रहने वाले लोगों की एक सोसाईटी इसके विरोध मे आ गई

है और रिहायश इलाके मे इस राईस शैलर लगाने के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही है। सोसाइटी को शंका है कि इस मिल के लगने से इसके प्रदूषण से स्थानीय लोग प्रभावित होंगे। जबकि मंडी समीति के मुताबिक ऐसा कुछ नही होगा। दरअसल, रेजिडेंट्स वैलफेयर एंड एन्वायरनमेंटल प्रोटेक्शन सोसाइटी अनाज मंडी रोड़ के अध्यक्ष कैप्टन पी सी भंडारी की अध्यक्षता मे एक बैठक हुई जिसमे मुख्य रूप से शिवानी वर्मा, वीपी सिंह चौधरी, विनोद शर्मा, बेनजीर, हाजी इरशाद अहमद, सुलेख चंद, महेश शर्मा, विमल सैनी, दलैल सिंह, टीपी सिंह, जवाहर सिंह, मुमताज अली व रीता आदि लोग मौजूद रहे। इस बैठक मे निर्णय लिया गया कि अनाज मंडी मे राईस शैलर का विरोध किया जाएगा। क्योंकि इससे प्रदूषण फैलेगा इसलिए रिहायश इलाके में यह नही लगना चाहिए। इस बाबत मंडी समीति को भी सूचित किया गया है। बावजूद इसके यह राईस शैलर मंडी में लगाया जा रहा है। 
उधर इस बारे मे जब अनाज मंडी सिरमौर के चेयरमैन रामेश्वर शर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों की शंका वेबजह है। क्योंकि जिस नई तकनीक से यह राईस शैलर स्थापित किया जा रहा है वह प्रदूषण और ध्वनि रहित है। यह एयर कंडीशन की तरह चलेगा। उन्होंने कहा कि नई टेक्नोलॉजी के इस शैलर की न तो आवाज आती है, न ही इसमे कोयला या किसी प्रकार का तेल इस्तेमाल होता है। वह टेक्नीशियन को लेकर पंजाब गये थे जहां पर उन्होंने यह नई तकनीक का शैलर देखा है। इससे किसी को कोई नुकसान नही है बल्कि उल्टा हजारों किसानों की दिक्कत ही दूर होगी। उन्होंने

कहा कि स्थानीय लोगों के घरों से पहले तो उनके ऑफिस और मंडी की दुकाने हैं। यदि ऐसा होता तो सबसे पहले तो उनके ऑफिस मे बैठना मुश्किल हो जाता। उन्होंने कहा कि यदि सोसाइटी को कोई शंका है तो वह मंडी आकर उनसे मिल सकते हैं और कोई पांच सदस्यीय कमेटी को वह अपने टेक्नीशियन के साथ पंजाब भी भेज सकते हैं जहां इस तरह के शैलर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तीन वर्ष के लंबे प्रयास के बाद किसानों की धान खरीद की दिक्कत दूर होने वाली है इसलिए सभी को सहयोग करना चाहिए।