नवरात्रि स्पेशल- चैत्र नवरात्रि पर्व 02 अप्रैल से आरंभ- सेमवाल ddnewsportal.com
नवरात्रि स्पेशल- चैत्र नवरात्रि पर्व 02 अप्रैल से आरंभ
कलश स्थापना के लिए प्रातः 6ः10 बजे से 08:31 बजे और 12:00 बजे से दोपहर 12ः50 बजे तक अतिशुभ मुर्हुत,
प्रसिद्व ज्योतिषाचार्य प0 कमलकांत सेमवाल ने दी जानकारी, 09 अप्रैल को होगी महाष्टमी और 10 को नवमी के साथ समापन।
इस बार के चैत्र नवरात्रे शनिवार 02 से आरंभ हो रहे है। जिला सिरमौर के प्रसिद्व ज्योतिषाचार्य प0 कमलकांत सेमवाल ने यह जानकारी देते हुए बताया कि पर्व के लिये 02 अप्रैल को प्रातः 6 बजकर 10 मिनट से 08 बजकर 31 मिनट तक और प्रातः 12 बजे से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट के मध्य कलश स्थापित करना अति शुभ रहेगा। प0 सेमवाल ने बताया कि भारतीय संस्कृति मे चैत्र नवरात्र का विशेष महत्व है। नौ दिनो तक चलने वाली नवरात्रि पर्व मे मां दुर्गा के नौ रुपों शैलपुत्री, ब्रहमचारिणी, चंद्रघण्टा, कुष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी एवं सिद्विदात्री की पूजा की जाती
है। उन्होने बताया कि कलश स्थापना के बाद मां दुर्गा के प्रधान रुप मां शैलपुत्री की पूजा होगी। 09 अप्रैल को महाअष्टमी और 10 अप्रैल को नवमी रहेगी। इस दिन रविपुष्य योग में नवरात्र का समापन होगा। सनातन धर्म के लोग इसी दिन श्री रामनवमी तथा श्रीरामचरितमानस जयंती का पर्व भी मनायेंगे। गोर हो दो वर्ष के कोरोना महामारी से जूझते धार्मिक लोगों के लिए इस बार यह पर्व धूमधाम के साथ मनाने का अवसर है। जिसे लेकर भक्तों में खुशी है।
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पूजा विधि-
स्नानादि के उपरान्त घट स्थापना करें। कलश स्थापना मे मिटटी, तांबे या स्टील का कलश पूजा मे रखें। घट मे गंगाजल, जल, सुपारी, चावल, रोली, हल्दी, कमल गटठे, जौ, सिक्का व शहद आदि डालकर आम के पांच पत्ते रखे तथा नारियल पर लाल रंग की चुन्नी लपैटकर कलश पर रखें। आसन बिछाकर अर्ध्य, वस्त्र, यज्ञोपवीत, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, ताम्बुल, नेवैद्य व फल आदि से कलश पूजा करें। मिटटी के पात्र मे रेत-मिटटी डालकर उसमे मिलाकर जौ बीज दे तथा नित्य उसमे जल डाले। मां दुर्गा के नौ रुपों का ध्यान करें, नित्य नौ दिनो तक पूजा पाठ करें। मां दुर्गा का ध्यान कर नौ दिनो तक दुर्गा सप्तषती का पाठ करें।
क्या करें-
दुर्गा पूजा के लिये लाल फूलों का ही प्रयोग करें। घी की अखण्ड ज्योति जलाएं। पूजन के समय ओंकार सहित श्री गणेश, ब्रहमा, विष्णु, महेश व दुर्गा इन पंचदेवों व नवग्रहों का पूजन करें।
क्या न करें-
तुलसी, आक, आंवला एवं मदार के फूल न चढांए। दूर्वा न चढ़ाएं।