अभिव्यक्ति- आखिर वीरभद्र सिंह क्यों जय राम ठाकुर से करते थे सबसे ज्यादा प्यार- ddnewsportal.com
अभिव्यक्ति- आखिर वीरभद्र सिंह क्यों जय राम ठाकुर से करते थे सबसे ज्यादा प्यार
राजनीतिक प्रवक्ता डाॅ मामराज पुंडीर ने रखे अपने विचार, कहा; गरीब-जरूरतमंद लोगों की पीड़ा को दिल से समझते हैं मुख्यमंत्री।
बचपन मे हमने एक कहानी पढ़ी और सुनी होगी, शीर्षक होता था कि एक था राजा, जनता पर किस प्रकार का अत्याचार होता था, इस प्रकार के किस्से सुनते हुए बड़े हुए। खैर आज कुछ और कहना चाहता हूँ। हिमाचल प्रदेश की राजनीति का एक राजा था जिनके स्वर्ग जाने पर पूरा प्रदेश रोया और ऐसे रोया जैसे कोई अपना चला गया, थे भी अपने। आप भले ही उनसे कभी मिले न हो। सत्तापक्ष या विपक्ष हर कोई अपने प्रिय नेता के जाने पर निशब्द थे।
उनके जाने के बाद प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई। लोग चीखते चिल्लाते उनके दर्शन को दौड़ पड़े। इस वर्ष शिमला जिला ने अपने तीन नेताओं को खो दिया, राकेश वर्मा के बाद नरेंद्र बरागटा और अब वीरभद्र सिंह। वीरभद्र जी के जाने के बाद प्रदेश की राजनीति में एक खालीपन सा आ गया। हिमाचल प्रदेश के दो पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार और प्रो. प्रेम कुमार धूमल का समय समय पर प्रदेश की जनता को आशिर्वाद मिलता रहता है। प्रदेश के राजनीति में वीरभद्र सिंह जिस नेता को सबसे ज्यादा प्यार और पसन्द करते थे और ऐसा उन्होंने कई बार सार्वजनिक मंचो से भी अपने भाषणों में कहा कि "मुझे जय राम जी बहुत पसंद है और प्रदेश को आगे ले जाने का दम रखते है। आज की राजनीति में वह सबसे ज्यादा प्यार और इज्जत जिस नेता की करते थे वह आज प्रदेश की राजनीति के मुखिया है यानी प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर।" क्या राजा वीरभद्र सिंह ने जय राम ठाकुर में कुछ
खास देखा होगा या यूं कहिए कि राजनीति के इस योद्धा ने प्रदेश का नेतृत्व करने वाले नेता में कुछ अपने जैसा कुछ देखा होगा, क्या अपना प्रतिनिधि देख लिया था। प्रश्न उठता है क्या जय राम ठाकुर को प्रदेश की जनता से स्वर्गीय वीरभद्र सिंह जैसा प्यार मिल पायेगा। मेरे जेहन में कुछ बातें आती है जब भी कभी चिंतन करता हूँ। मुझे दोनों में स्वर्गीय वीरभद्र सिंह और जय राम ठाकुर मे कुछ समानता दिखती है।
1. एक बार सचिवालय में कुछ लोगों का डेपुटेशन मिलने को आया। कुछ लोग मेरे सिरमौर से भी थे। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जब अपने कार्यालय से बाहर आ रहे थे तो सभी लोग हाथ मे फूलों का दस्ता था, मेरे सिरमौरी भाइयो के पास कुछ नही था। मुख्यमंत्री ने सभी का अभिवादन स्वीकार करना शुरू किया तो देखा एक आदमी हाथ जोड़ कर उनसे भीगी आंखों से नजरे मिला रहा है। उसकी आँखों मे खाली हाथ होने की पीड़ा झलक रही थी। मेने मुख्यमंत्री के चेहरे की और देखा और अपने सिरमौरी भाई की तरफ। मुख्यमंत्री यानी जय राम ठाकुर उनके चेहरे को पढ़ गए थे। मुख्यमंत्री के पास एक गुलदस्ता था उन्होंने वही गुलदस्ता मेरे सिरमौरी भाई के हाथों में दे दिया और बहुत शालीनता से उनका हाल चाल पूछा। वह आदमी मुख्यमंत्री के जाने के बाद काफी देर तक अपनी खुशी के आंसू नही रोक पाया।
2. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अपने कार्यालय में किसी बैठक में व्यस्त थे। हम सचिवालय से बाहर की और जा रहे थे। मेने कुछ लोगो को इकठे खड़े देखा तो मैने भी अपने कदम रोक दिए। उस भीड़ में एक बहन बेहोशी की हालत में थी। मेने कारण पूछा तो जबाब था कि मुख्यमंत्री जी से मिलने आये है। शायद उनका ब्लड शुगर गिर गया था। कहने लगे सुबह से आये है मिल के जाना है, कुछ खाया नही। उस बहन की तबीयत ज्यादा खराब हो रही थी। मुझे लगा कि मुख्यमंत्री जी को अवगत करवाना जरूरी है। मेने अधिकारी से हालात के बारे में अवगत करवाया। उन्होंने सन्देश मुख्यमंत्री तक पहुँचाया। मैं मुख्यमंत्री से मिलने उनके कार्यालय में पहुंच गया। महिलाओं की आप बीती सुनवाई और मुख्यमंत्री ने तुरंत महिलाओं को मिलने बुला लिया। उसके बाद जो बहन मूर्छित हालात में थी उन्हें सरकारी गाड़ी से आईजीएमसी हॉस्पिटल पहुचाया गया। यह सब मैं क्यो बता रहा हूँ। कोई प्रचार प्रसार नही करना चाहता। परन्तु मेने जो देखा, मैं खुद हैरान था।
3. मुख्यमंत्री जब प्रदेश के अध्यक्ष थे तो ओक ओवर जाने का उनके साथ मौका मिला। आज कल जहाँ मुख्यमंत्री जनता से मिलते है। पहले वहां खुला हुआ करता था और लोग सर्दी हो या गर्मी, बारिश हो या बर्फ पड़ रही हो। मुख्यमंत्री से मिलने का इंतजार वही बैठ कर करते थे। कांपते हुए और भीगते हुए। हम जब वहां से निकल रहे थे। मौसम खराब था बहुत ठंड थी। जय राम ठाकुर की नजर वहां पर बैठे लोगों पर गई। एक माता जी ठंड से ठिठुर रही थी। जयराम ठाकुर ने गाड़ी रुकवाई और गाड़ी से बाहर आ कर माता जी के पास पहुंच गए। उनके आने का कारण पूछा। और उनको अपने साथ ले जाकर तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के पास ले गए। वापिस आते हुए कहने लगे, क्या यहां अच्छी सुविधा मिलने वालों के लिए नही हो सकती। जब जय राम ठाकुर ने प्रदेश के मुख्यमंत्री की शपथ ली तो सबसे पहले जनता से मिलने और उनके बैठने के लिए ओक ओवर और सचिवालय में स्थान को चिन्हित किया गया।
सच कहूं तो मुझे हमेशा से लगता रहा है कि प्रदेश में आज वीरभद्र सिंह की तरह लोगों के दिलो में जगह बनाने की क्षमता जय राम ठाकुर मे है। मैंने वीरभद्र सिंह की कार्यशैली को देखा भी है और समझा भी है। एक पैनी नजर होती थी उनकी, बहुत ध्यान से जनता को सुनते और समाधान निकालते थे। लोग उनके मंत्रियों से ज्यादा वीरभद्र सिंह से मिलना पसन्द करते थे। मेरा प्रश्न वही घूम रहा है क्या वीरभद्र सिंह ने जय राम में अपना उत्तराधिकारी देख लिया था। कुछ चीजें और भी मिलती है। वीरभद्र सिंह की उम्र मात्र 13 वर्ष की थी तब से पिता का साया उनके ऊपर से उठ गया था। और उन्होंने बहुत जल्दी जिंदगी की सच्चाई देख ली थी। वहीं जय राम ठाकुर को भी पढ़ाई के साथ साथ दो वक्त की रोटी के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता था। स्कूल की शिक्षा हेतु हर दिन 16 किलोमीटर का सफर करते थे और गरीबी को बहुत नजदीक से इन्होंने देखा है। आज प्रदेश की बागडोर ऐसी शख्सियत के हाथों में है जिन्होंने गरीबी को देखा नहीं जिया है। इसलिए आम जनता की परेशानियों के साथ उनकी पीड़ा को समझते ही नहीं अपितु दिल से अनुभव करते हैं। यही विशेषता है मुख्यमंत्री चलते काफिले के दौरान भी सड़क किनारे खड़े हो कर कोई हाथ देकर मिलने का इशारा करते दिखे तो तुरन्त चलते काफिले को रोक देते और उनकी पीड़ाओं, समस्याओं को सुनते और भावुकतावश हो कर गाड़ी से उतर कर पीड़ा को स्वंय देखने घर पहुंच जाते।
कल मंडी प्रवास के दौरान हुई एक घटना ने मुझे यह सब लिखने के लिए मजबूर किया। 21 सालों से कोमा में पड़े युवक की मां जब CM जयराम ठाकुर से मिली तो CM भी भावुक हो गए और बेटे को देखने घर पहुंचे, तुरन्त एक लाख की घोषणा की। द्रंग टांडू के पारखी गांव का एक सच। CM जय राम ठाकुर गरीबो के महीसा है, गरीबों का दुख महसूस करना और उस पर तुरंत प्रभाव से कार्यवाही करना यह केवल वही कर सकता है, जो हम और आप में से एक है। और आज के समय समझने की बात कहने वाले बहुत परन्तु दिल से अनुभव करने वाले विरले है।
मेरा प्रश्न फिर वहीं पर है। आखिर क्यों वीरभद्र सिंह इतना प्यार जय राम ठाकुर से करते थे।
डॉ मामराज पुंडीर
राजनीतिक प्रवक्ता, हिमाचल प्रदेश।