दो दिन मे व्यवस्था न सुधारी तो डीसी-एसडीएम कार्यालय के सामने रखेंगे अनाज ddnewsportal.com
ऐसे तो धान खरीद मे लग जायेंगे 6 महिने
भारतीय किसान युनियन ने सुस्त व्यवस्था पर जताया रोश, दो दिन मे व्यवस्था न सुधारी तो डीसी-एसडीएम कार्यालय के सामने रखेंगे अनाज
भारतीय किसान युनियन हिमाचल प्रदेश ने पांवटा साहिब मे धान की खरीद की सुस्त व्यवस्था पर रोश प्रकट किया है। युनियन का कहना है कि इस तरह तो धान खरीद मे 6 महिने लग जायेंगे इसलिए सरकार व्यवस्था मे तेजी लाएं। युनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनिन्द्र सिंह नौटी ने जारी बयान मे कहा कि युनियन के अथक प्रयासों, भारतीय खाद्य निगम पर मुकदमे दायर करने तथा प्रदेश सरकार पर दबाव की रणनीति से पहली बार हिमाचल प्रदेश में धान की सरकारी खरीद शुरू हुई है। जिसमें सभी जिलों के किसानों ने भारतीय किसान यूनियन का हर स्तर पर साथ दिया। परंतु हिमाचल प्रदेश के चार जिलों सिरमौर के पांवटा साहिब व कालाआम, सोलन के नालागढ़, उना के टाहलीवाल तथा कांगड़ा के फतेहपुर, इंदौरा तथा रियाली स्थिति खरीद केंद्रों में जो धान की खरीद हो रही है उसकी रफ्तार बहुत कम है। जिसकी वजह से किसानों के ट्रैक्टर ट्रालियों की लंबी-लंबी लाइने वहां लग चुकी हैं। एक तो धान की खरीद देश के दूसरे हिस्सों के बनिस्पत हिमाचल प्रदेश में काफी लेट शुरू की गई। ऊपर से प्रदेश सरकार के कृषि तथा खाद्य आपूर्ति मंत्री तथा संबंधित प्रदेश व जिला अधिकारी इस मामले में बिल्कुल सोए रहे और फील्ड स्तर पर कोई तैयारी नहीं की। जिस बारे में भारतीय खाद्य निगम में भी स्पष्ट तौर पर प्रदेश सरकार की कमी बताई है। प्रदेश के सिविल सप्लाई कॉरपोरेशन जिनको इन तैयारियों का जिम्मा सौंपा गया था ताकि हिमाचल प्रदेश यह एजेंसी खरीद करे उसने खरीद में दिलचस्पी नहीं दिखाई तथा स्टाफ की कमी का हवाला देकर इस प्रक्रिया से किनारा कर लिया। इस वजह से भारतीय खाद्य निगम को भी बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा और उनको दिल्ली से स्टाफ बुलाकर तैनात करना पड़ा। अगर हिमाचल की सरकारी खरीद एजेंसी अपनी जिम्मेदारी पूरी करती तो स्टाफ की कमी नहीं होती तथा भारतीय खाद्य निगम और अधिक सेंटर खोल सकता था। फतेहपुर के चुनाव देखते हुए प्रदेश सरकार ने मात्र एक क्षेत्र में तीन खरीद केंद्र खोल दिए और बाकी पूरे प्रदेश के लिए सिर्फ तीन केंद्र। इस बारे में भारतीय खाद्य निगम के उच्चाधिकारियों से भारतीय किसान युनियन ने मुलाकात की तथा नालागढ़, ऊना तथा कांगड़ा में भारतीय किसान यूनियन की स्थानीय यूनिट ने उन्हें भी वस्तु स्थिति से अवगत करवाया। भारतीय किसान युनियन की अन्य जिलों की यूनिट ने भी स्थानीय एसडीएम स्तर पर इसको लेकर अपना विरोध प्रदर्शन दर्ज करवाया। उदाहरण के लिए सिरमौर का पांवटा साहिब जो धान उत्पादन में प्रदेश में अव्वल है, वहां एक दिन में मात्र 1000 क्विंटल खरीद हो रही है। जिसको अगर पूरे उत्पादन के हिसाब से देखा जाए तो अगले छह महीने खरीद की प्रक्रिया में लगेंगे तथा तब तक किसानों की गेहूं की फसल आ चुकी होगी जो खुद में हास्यास्पद भी है। या तो प्रदेश सरकार किसानों के साथ धोखा कर रही है या सरकारी अधिकारी बिल्कुल अक्षम है। हालांकि जिला सिरमौर में कृषि उपज मंडी समिति की भूमिका इस पूरे मसले में सराहनीय रही है लेकिन बाकी जिलों में कृषि उपज मंडी समिति की भूमिका
भी नगण्य है। ऐसे में भारतीय किसान यूनियन ने भारतीय खाद्य निगम के उत्तर भारत के जनरल मैनेजर (प्रोक्योरमेंट) को यह सभी आंकड़े भेजे हैं। लेकिन उन्होंने प्रदेश सरकार की स्थानीय एजेंसीयों के पीछे हटने की वजह से यह सारी स्थिति उत्पन्न होने की बात कही है। भारत के अन्य राज्यों में भारतीय खाद्य निगम खरीद के लिए उस प्रदेश की स्थानीय एजेंसियों जैसे हिमाचल के केस में सिविल सप्लाई कॉरपोरेशन या हिमफैड जैसी एजेंसियों को जिम्मा सौंपती है लेकिन यहां हिमाचल प्रदेश की पूरी नाकामी साबित हुई है। इसलिए भारतीय किसान यूनियन हिमाचल प्रदेश चुनाव के प्रचार में पूरी तरह खोई हुई हिमाचल सरकार को यह आगाह करती है कि जल्दी ही सही तथा तत्कालिक निर्णय लेकर नए खरीद केंद्रों के लिए व्यवस्था तथा स्टाफ पैदा किया जाए तथा आगे से राजनैतिक आधार पर खरीद सेंटर ना खोले जाएं बल्कि यह क्षेत्रवार पैदावार को देखकर किया जाए। अगर अगले 2 दिनों में स्थिति नहीं सुधरती तो हिमाचल प्रदेश के धान उत्पादक किसान सड़कों को जाम कर सकते हैं तथा अपने अनाज को स्थानीय एसडीएम तथा जिलाधीश के कार्यालयों पर लेकर पहुंचेंगे।