सैंकड़ों युवतियों को आत्मनिर्भर बना चुकी हैं अलका गोयल ddnewsportal.com
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष- 01
सैंकड़ों युवतियों को आत्मनिर्भर बना चुकी हैं अलका गोयल
तिरुपति लाईफ साईंसिज की निदेशक महिलाओं को समान अधिकार की हैं पक्षधर
महिला सशक्तिकरण के साथ साथ सरकारी स्कूलों को भी करती हैं सहयोग।
भारत देश के हर कौने मे छोटे से छोटे शहर मे भी महिलाएँ अपनी जिम्मैदारियों को बखूबी निभाकर देश के विकास मे अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रही है। आज समाज मे महिलाएं किसी दर्जे मे पुरुष से कम नही है। अनैकों फील्ड मे महिलाओं ने अपनी प्रतिभा का डंका बजाया हैं। आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर हम ऐसी महिलाओं की उपलब्धियां आप सभी के समक्ष ला रहे हैं जो समाज को एक बड़ी प्रेरणा दे रही है। समाजसेवा हो या देश सेवा हर क्षेत्र मे अब महिलाएं घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश के विकास मे अपना अहम योगदान दे रही हैं। ऐसी प्रेरणास्रोत्र शख्सियतों को Desh Dinesh Media का सलाम..........
इन्होंने उद्यमिता के क्षेत्र मे सैंकड़ों युवतियों को रोजगार से जोड़कर आत्म निर्भर बनाया है। नारी सशक्तिकरण इनके लिए एक लक्ष्य सा बन गया है तभी तो आज तक सैंकड़ों युवतियों और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर समाज में उन्हे मान सम्मान दिलवा रही हैं। बात पांवटा साहिब के तिरूपति ग्रुप की निदेशक व समाजसेवी अलका गोयल की हो रही है। पांवटा साहिब की उद्योगपति अलका गोयल आज महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत के रूप में कार्य कर रही हैं। कंपनी में निदेशक पद पर तैनात रहकर उन्होंने कुछ ही समय में न केवल अपने औद्योगिक प्रतिष्ठान को काफी ऊंचाईयों तक पंहुचाने में सहयोग कर कामयाबी हासिल कर ली है। बल्कि इस दौरान उन्होने सैंकड़ों पढ़ी लिखी बैरोजगार युवतियों और महिलाओं को भी कंपनी मे काम देकर उन्हे आत्मनिर्भर बनाया है। पिछले पांच से छह साल की बात करें तो इस कंपनी मे सैंकड़ों युवतियों व महिलाओं को नौकरी मिली है जिससे वह आत्मनिर्भर बनकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रही है। इसके साथ ही उन्होने सीएसआर के तहत अपने कंपनी के अन्य पदाधिकारियों के साथ कईं स्कूलों को जरुरत की वस्तुएं भी प्रदान की है। अलका गोयल एक सीधी-सादी लेकिन पढ़ी-लिखी गृहिणी रही हैं। लेकिन अचानक जब उनके ऊपर एक बड़े औद्योगिक समूह का कार्य संचालन मे सहयोग का दायित्व पड़ा तो उन्होंने एक कुशल गृहिणी के साथ-साथ उस चुनौती को भी संभाला और आज एक सफल उद्योगपति के रूप में उनकी पहचान बन गई है। तिरूपति ग्रुप कुछ ही वर्षों में हिमाचल प्रदेश के एक विश्वसनीय उद्योगों में शुमार हो गया है। यह ग्रुप न्यूट्रीसियूटिकल्स व आयुर्वेदिक फार्मूलेशन के तहत चंद वर्षों
में ही सैंकड़ों करोड़ों का कारोबार कर रहा है और भारतवर्ष की लगभग 40 से अधिक प्रतिष्ठित फार्मा इकाईयों के लिए कार्य कर रहा है। इस उद्योग में 500 से अधिक प्रशिक्षित व अनुभवी लोग कार्य कर रहे हैं। जिसमे युवतियों और महिलाओं की संख्या भी काफी है। प्रतिष्ठित राज जस स्कूल दिल्ली से इन्होंने स्नातक की शिक्षा ग्रहण करने के बाद शादी के बाद कुरूक्षेत्र से फैशन डिजाईनिंग का डिप्लोमा भी किया। इनका कहना है कि इन्हें अपने जीवन में कभी भी संघर्ष करने की आवश्यकता नहीं पड़ी और मायूसी भी कभी सामने नहीं आई। इनकी इच्छा बचपन से ही कामकाजी महिला होेने की थी लेकिन पिता नौकरी के खिलाफ थे। शादी के बाद ससुराल वाले भी नौकरी करने के पक्षधर नहीं थे। लेकिन पति ने हौंसला अफज़ाई की और मौका मिलने पर अपने उद्योग में ही काम संभाला। वह महिलाओं के प्रति एक अच्छी सोच रखती हैं। इनका कहना है कि महिलाएं हर क्षेत्र में पुरूषों की अपेक्षा अपना कार्य ओर बेहतर ढंग से कर सकती हैं। वह चाहती है कि आज महिलाएं हर क्षेत्र मे पुरुष की बराबरी करें। और देश के विकास मे अपनी
बराबर की भागीदारी सुनिश्चित करें।