दुगाना पंचायत मे पुरूषों के अरमानों पर फिर फिरा पानी ddnewsportal.com

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दुगाना पंचायत मे पुरूषों के अरमानों पर फिर फिरा पानी

लगातार चौथी बार पंचायत प्रधान पद महिला के लिए आरक्षित, आखिरी बार वर्ष 2000 मे अनारक्षित रही थी सीट।

सिरमौर के जारी पंचायत रोस्टर से कहीं खुशी तो कहीं गम

पंचायत चुनाव मे महिलाओं का 50 फीसदी आरक्षण पुरूषों के राजनैतिक केरियर पर भारी पड़ने लगा है। जारी रोस्टर के मुताबिक जिले की कईं पंचायतें ऐसी है जहां लगातार चौथी बार पंचायत प्रधान की सीट महिला के लिए आरक्षित हुई है। इसमे पांवटा साहिब विकास खंड की ग्राम पंचायत दुगाना भी शामिल हैं। यहां पर आखिरी बार वर्ष 2000 में प्रधान की सीट अनारक्षित रही। इस बार नेता आस लगाये बैठें थे कि सीट अनारक्षित हो जाएगी और 15 साल से प्रधान बनने के उनके अरमान पूरे हो जायेंगे। लेकिन इस बार फिर प्रधान बनने के चाहवानों के अरमान धुल गये। जानकारी के मुताबिक क्षेत्र की बड़ी पंचायतों मे शुमार ग्राम पंचायत दुगाना मे लगातार चौथी बार पंचायत प्रधान की सीट महिला के लिए आरक्षित हुई है। पंचायत मे आखिरी बार वर्ष 2000 मे सीट ओपन रही और महेन्द्र सिंह पुंडीर पंचायत के युवा प्रधान बने। इस अंतराल मे पंचायत मे ऐतिहासिक विकास भी हुआ। उसके बाद वर्ष 2005 और 2010 मे प्रधान की सीट महिला सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित हुई। और फिर तीसरी बार वर्ष 2015 मे अनुसूचित जाति महिला आरक्षित हुई। अब इस बार फिर इस पंचायत के प्रधान की सीट महिला ओपन हुई है। ऐसे मे पिछले 15 वर्ष से अपनी राजनैतिक इच्छा पूरी करने वाले चाहवान निराश है। उनका कहना है कि जब तीन बार लगातार महिलाओं के लिए सीट आरक्षित हो चुकी है तो इस बार तो अनारक्षित करनी चाहिए थी। जबकि पंचायत के लोग इस बारे जिलाधीश सिरमौर डाॅ आरके प्रूथी से मिलकर सीट अनारक्षित करने की मांग भी कर चुके थे। जानकारों की माने तो जो प्रधान का इलेक्शन लड़ने के चाहवान पुरूष हैं उनमे से ज्यादातर का पंचायत के नजरिए से राजनैतिक कैरियर खतरे मे पड़ गया है। है भी सही, जो व्यक्ति 40 वर्ष की उम्र से पंचायत चुनाव लड़ने की आस

लगाए बैठे थे उन्हे 60 वर्ष का होने पर भी मौका नही मिल रहा। अब वर्ष 2025 का भी क्या भरोसा। इसके साथ साथ कईं पंचायतें ऐसी है जहां पर तीसरी बार भी महिला के लिए सीट रिजर्व हुई है। बहरहाल जिस पंचायत रोस्टर का जिले के लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे थे वो आज जारी हो गया है। इससे कहीं खुशी तो कहीं गम भी है।