मानव अधिकारों की रक्षा के लिए शिक्षकों को होना पड़ेगा सक्रिय ddnewsportal.com

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मानव अधिकारों की रक्षा के लिए शिक्षकों को होना पड़ेगा सक्रिय

अखिल भारतीय राष्ट्रीय शिक्षा महासंघ के ऑनलाइन कार्यक्रम मे बोले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में उप पंजीयक ओम प्रकाश व्यास

अखिल भारतीय राष्ट्रीय शिक्षा महासंघ ने शैक्षिक संस्थानों में मानव अधिकारों की प्रासंगिकता पर एक ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया। जिसमे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में उप पंजीयक ओम प्रकाश व्यास आमंत्रित वक्ता थे। श्री व्यास ने हमारी संस्कृति और विरासत से जुड़े मानव अधिकारों के सार के साथ अपनी बात शुरू की। उन्होंने लीग ऑफ़ नेशंस और यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ़ ह्यूमन राइट्स (UHHR) की दीक्षा से, मानवाधिकारों की ऐतिहासिक समयावधि को एक चिंता के रूप में प्रस्तुत किया। श्री व्यास ने बताया कि हमारे संविधान में यूडीएचआर के साथ कई

समानताएं थीं और यह नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों को सुनिश्चित करता है। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति के पांच प्रकार के अधिकारों में से नागरिक और राजनीतिक अधिकारों के बारे में अधिक संवेदनशीलता है। उन्होंने मौलिक और मानवाधिकारों के बीच अंतर करने पर ध्यान केंद्रित किया। श्री व्यास ने स्पष्ट किया कि मानवाधिकार जीवन, स्वतंत्रता, समानता और किसी व्यक्ति की गरिमा से संबंधित हैं जो संविधान द्वारा गारंटीकृत हैं। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 21 पर बहुत अधिक जोर दिया, जिसमे मानव अधिकारों का निर्माण किया गयि। श्री व्यास ने कहा कि एक शिक्षक अपने छात्रों के लिए एक आदर्श होता है और उनका आचरण छात्रों पर स्थायी प्रभाव छोड़ता है। एनएचआरसी ने छात्रों, शिक्षकों और शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े कई मुद्दों से निपटा है। उन्होंने बताया कि एनएचआरसी को निजी संस्थानों में सीओवीआईडी ​​परिस्थितियों के दौरान शिक्षकों को अपनी सैलरी नहीं मिलने की कई शिकायतें मिली हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे एनएचआरसी कुछ सुपरनैचुरेटेड शिक्षकों को उनके टर्मिनल लाभ प्राप्त करने में मदद कर रहा है। श्री व्यास ने कहा कि देश की भावी पीढ़ियों को तैयार करने के लिए शैक्षणिक संस्थान सर्वोपरि हैं। उन्होंने मानव अधिकारों की रक्षा के लिए शिक्षकों को आवश्यकता पड़ने पर सक्रियता लाने के लिए प्रोत्साहित किया। उनके व्याख्यान के बाद प्रश्न और उत्तर सत्र था। एबीआरएसएम के अध्यक्ष प्रो जेपी सिंघल ने श्री व्यास द्वारा दिए गए शिक्षाप्रद व्याख्यान की सराहना की। प्रो सिंघल ने अपनी समापन टिप्पणियों में एबीआरएसएम द्वारा उठाए गए विभिन्न मानवीय सही कारणों

पर भी प्रकाश डाला। ऑनलाइन कार्यक्रम में देशभर के लगभग 250 संकायों ने भाग लिया था। आयोजन सचिव महेन्द्र कपूर, जे.टी. आयोजन सचिव ओमपाल सिंह, महासचिव शिवानंद सिंधेनकेरा, अतिरिक्त महासचिव डॉ निर्मला यादव, अतिरिक्त सचिव पवन मिश्रा, प्रदेश अध्यक्ष एचपीएसएम पवन और प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ मामराज पुंडीर भी कार्यक्रम में शामिल हुए। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की महिला विंग की सचिव डॉ गीता भट्ट ने ऑनलाइन कार्यक्रम का समन्वय किया।