किसानों को समय पर नही मिल रही यूरिया-खाद ddnewsportal.com

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किसानों को समय पर नही मिल रही यूरिया-खाद

फाईट फाॅर फार्मर राईट के संयोजक अनिन्द्र सिंह नौटी ने सरकार की कार्य प्रणाली पर उठाये सवाल, समस्या का जल्द समाधान न हुआ तो सडकों पर उतरेंगे किसान

आजकल पांवटा साहिब के किसान यूरिया की भारी कमी का सामना कर रहे हैं। गेहूं की फसल की बिजाई से लेकर अभी तक किसानों को न तो समय पर खाद मिली है न ही पूरी मात्रा में मिल रही है। यह बात पांवटा साहिब मे जारी प्रेस बयान में फाईट फाॅर फार्मर राईट के संयोजक अनिन्द्र सिंह नौटी ने कही। नौटी सहित जगदीश चौधरी, नरेश चौधरी, भूपेंद्र सिंह जैलदार, राजेंद्र सिंह राणा, चरणजीत सिंह जैलदार, हरप्रीत सिंह खालसा, गुरजीत सिंह नंबरदार,

हरीश चौधरी, कश्मीर सिंह, विनय गोयल, साजिद हाशमी, एडवोकेट इंद्रजीत सिंह, बलराज कश्यप और यशपाल ठाकुर आदि ने कहा कि हिमफैड के स्थानीय अधिकारी इस बारे मे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पा रहे। उन्होंने कहा कि किसानों को हिमफैड, इफको तथा तहसील को-ऑपरेटिव सोसाइटीज के माध्यम से विभिन्न खादें मिलती हैं, जबकि अब सभी जगह इनकी आपूर्ति बाधित है। यही हाल शिलाई में भी है और हिमाचल प्रदेश के सभी जगह पर भी। केंद्र सरकार अघोषित तरीके से किसानों को चुपचाप नुकसान पहुंचा रही है। वर्ष 2019 से केंद्र सरकार ने सभी यूरिया उत्पादक संयंत्रों की कैपेसिटी 33% कम करवा दी है, मतलब साफ है कि केंद्र सरकार गुपचुप तरीके से पूरे देश में यूरिया की सप्लाई को कम कर रही है जिससे किसानों की उपज कम हो जाए। एक ओर सरकार किसानों को पराली जलाने से मना करती है वहीं दूसरी ओर देश के प्रतिष्ठित कृषि वैज्ञानिक मानते हैं कि बिना पराली जलाए अगर सीधी गेहूं की बिजाई की जाए तो उसमें सामान्य से 30% अधिक मात्रा में यूरिया का उपयोग होगा। यानी इस देश में यूरिया के उत्पादन तथा मांग में 60% का एक बहुत बड़ा अंतर आ गया है या केंद्र सरकार द्वारा पैदा किया गया है। वहीं हिमाचल प्रदेश भी इससे अछूता नहीं है। प्रदेश सरकार वैसे ही किसानों के मामले में लगभग शुतुरमुर्ग की तरह अपनी गर्दन गड़ा के सोयी हुई है। स्थानीय मंत्री भी धान की स्थानीय मंडी में बिक्री से लेकर अब यूरिया की सप्लाई सुनिश्चित करने तक को लेकर

कहीं भी गंभीर नजर नहीं आते हैं। सरकार स्थानीय निकायों और पंचायतों के चुनाव में इतनी मग्न है कि उसका कृषि प्रधान राज्य के किसानों के दुख दर्द की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं है। अगर जल्दी ही यूरिया की सप्लाई नहीं की गई तो जिला के किसान फाइट फॉर फार्मर राइट कमेटी की अगुवाई में सड़कों पर उतर कर अपना विरोध दर्ज करेंगे।